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- 06 Mar, 2021
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- Bhagwati lal Meghwal
फायदेमंद तरबूज
Beneficial Watermelon
ग्रीष्म ऋतु का फल तरबूज प्रायः पूरे भारत में पाया जाता है। पका हुआ लाल गुदे वाला तरबूज स्वाद में मधुर, गुण में शीतल, पित्त एवं गर्मी का शमन करने वाला, पौष्टिकता एवं तृप्ति देने वाला, पेट साफ करने वाला, मुत्रल एवं कफकारक है।
कच्चा तरबूज गुण में ठंडा, दस्त को रोकने वाला, कफ कारक, पचने में भारी एवं पित्तनाशक है।
तरबूज के बीज शीतवीर्य, शरीर में स्निग्घता बढ़ानवाले, पौष्टिक, मुत्रल, गर्मी का शमन करने वाले, कृमिनाशक, दिमागी शक्ति बढ़ाने वाले, दुर्बलता मिटानवाले, किडनी की कमजोरी दूर करने वाले, गर्मी की खांसी एवं ज्वर को मिटाने वाले, क्षय एवं मूत्ररोगों को दूर करने वाले हैं। ज्यादा बीज खाने से तिल्ली को हानि होती है।
विशेष : गर्म तासीर वालोंं के लिए तरबूज एक उत्तम फल है लेकिन कफ प्रकृत्ति वालोंके लिए हानिकारक है। अतः सर्दी - खांसी, मधुप्रमेह, कोढ, रक्त विकार के रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु में दोपहर के भोजन के 2-3 घंटे बाद तरबूज खाना लाभदायक है। यदि तरबूज खाने के बाद कोई तकलीफ हो तो शहद अथवा गुलकंद का सेवन करें ।
औषधि -प्रयोग
1. पित्त विकार : खून की उल्टी, अत्यन्त जलन एवं दाह होने पर, एसिडिटी, अत्यन्त प्यास लगने पर, गर्मी् के ज्वर में, टायफायड में प्रतिदिन तरबूज के रस में मिश्री डालकर लेने से लाभ होता है।
2. मूत्रदाह : पके हुए तरबूज की एक फाँक बीच से निकालकर उसके अंदर पीसी हुई मिश्री बुरबुरा दें और वह निकली हुई फाँक फिर से कटे हुए भाग पर रख दें। उसे रात्री में खुली छत पर रखें। सुबह उसके लाल गूदे का रस निकालें। यह रस सुबह - शाम पीने से मूत्रदाह, रुक - रुककर मूत्र आना, मूत्रेन्द्रिय पर गर्मी के कारण फुंंसी का होना आदि मूत्रजन्य रोगों में लाभ होता है।
3. गोनोरिया (सूजाक) : तरबूज के 100ग्राम रस में पिसाा हुआ जीरा एवं मिश्री डालकर सुबह - शाम पीने से लाभ होता है।
4.गर्मी का सिरदर्द : तरबूज के रस में मिश्री तथा इलायची अथवा गुलाब जल मिलाकर दोपहर एवं शाम को पीने से पित्त, गर्मी अथवा लू के कारण होने वाले सिरदर्द में लाभ होता है। हृदय की बढी हुई धड़कनें सामान्य होती है एवं दुर्बलता अथवा तीव्र ज्वर के कारण आयी हुुईं मूर्च्छा मे भी लाभ होता है।
5. पागलपन : यहां मूत्रदाह में दिया गया प्रयोग अपनायें। उस रस में ब्राह्मी के ताजे पत्तों का रस अथवा चूर्ण एवं दूध मिलायेंं। आवश्यकता अनुसार मिश्री मिलाकर एक से तीन महीने तक रोगी को पिलायेें। साथ ही तरबूज के बीज का गर्भ 10 ग्राम की मात्रा में रात्री में पानी भिगोयें। सुबह पीसकर उसमें मिश्री, इलायची मिला लें और मक्खन के साथ दें। इससे पागलपन अथवा गर्मी के कारण होनेवाली दिमागी कमजोरी में लाभ होगा।
6. भुख बढ़ाने हेतु : तरबूज के लाल गूदे में कालीमिर्च, जीरा एवं नमक काा चूर्ण बुरबुराकर खाने से भूख खुलती है एवं पाचन शक्ति बढ़ती है।
7. पौष्टिकता के लिए : तरबूज के बीज के गर्भ का चूूर्ण बना लें। गर्म दूध में शक्कर तथा 1चम्मच यह चूर्ण डालकर उबाल लें। इसके प्रतिदिन सेवन से देह पुष्ट होती है।
धन्यवाद
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